Mahakumbhkumbh : Accommodation in Kumbh Mela Allahabad 2019

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महाकुंभ: कैसे जाएं, कहां ठहरें

इन चारों में से हर तीसरे साल बारी-बारी से कुंभ मेला लगता है। इस तरह इनमें से एक स्थान पर कुंभ मेला हर 12 साल बाद लगता है। 
अर्द्ध कुंभ बस दो जगहों पर ही होता है: इलाहाबाद और हरिद्वार। यह बारी-बारी से हर छह साल बाद होता है। 
पूर्ण कुंभ हर 12 साल के बाद होता है हरिद्वार, इलाहाबाद, उज्जैन और नासिक में। अगला पूर्ण कुंभ 2014 में उज्जैन में होगा। 
महाकुंभ हर 12 पूर्ण कुंभों यानी 144 साल के बाद इलाहाबाद में लगता है। 
इलाहाबाद में इस समय चल रहा आयोजन महाकुंभ ही है, जो 144 साल के बाद हुआ है। इस तरह का अगला महाकुंभ इलाहाबाद में ही 144 साल के बाद होगा। 
इससे अगला कुंभ मेला 2015 में नासिक में होगा। इससे पहले 2010 में हरिद्वार में कुंभ मेला लगा था। 

स्नान की तारीखें
दिन तिथि स्नान का शुभ समय
 
14 जनवरी मकर संक्रांति सुबह 5:15 से शाम 5 बजे तक 
27 जनवरी पौष पूर्णिमा सुबह 3:30 से शाम 6:15 बजे तक 
फरवरी एकादशी सुबह 4 बजे शाम 6:45 बजे तक 
10 फरवरी मौनी अमावस्या सुबह 3:30 से शाम 6:15 बजे तक 
15 फरवरी बसंत पंचमी सुबह 3:30 से शाम 6:30 बजे तक 
17 फरवरी सप्तमी सुबह 3:45 बजे से शाम 7 बजे तक 
25 फरवरी माघी पूर्णिमा सुबह 3:30 बजे से शाम 6:45 बजे तक 

कैसे जाएं
फ्लाइट
 
एयर इंडिया: दिल्ली से इलाहाबाद, सुबह 7:20, सुबह 9:45, किराया 11 से 14 हजार रुपये 
इंडिगो: दिल्ली से लखनऊ, सुबह 6:25, सुबह 9:10, किराया: 4 से 4.5 हजार रुपए 
जेट: दिल्ली से लखनऊ, सुबह 8:55, सुबह 10 बजे, किराया: 4 से 4.5 हजार रुपये 
स्पाइसजेट: दिल्ली से बनारस, सुबह 8:20, सुबह 10 बजे, किराया: 4.5 से 5 हजार रुपये 
एयर इंडिया: दिल्ली से बनारस, सुबह 10:30, दोपहर 11:45, किराया: 4.5 से 5 हजार रुपये 

लखनऊ पहुंचकर सड़क मार्ग से सीधे इलाहाबाद तक पहुंचा जा सकता है। लखनऊ से इलाहाबाद करीब 240 किमी है। 
** बनारस पहुंचकर सड़क मार्ग से सीधे इलाहाबाद पहुंच सकते हैं। बनारस से इलाहाबाद करीब 125 किमी है। 

ट्रेन 
ट्रेन का नाम, नई दिल्ली से चलेगी, इलाहाबाद पहुंचेगी 
प्रयागराज, रात 9:25, सुबह 6:45 
कालका मेल, सुबह 5:48, शाम 5:20 
महानंदा, सुबह 6:40, शाम 5:55 
महाबोधि, दोपहर 2:10, रात 10:45 
पूर्वा, शाम 4:20 देर रात 2:20 
मगध, रात 8:10, सुबह 5:10 
पुरुषोत्तम, रात 10:20, सुबह 7:25 

मौसम 
जनवरी अंत और फरवरी की शुरुआत में इलाहाबाद में औसत अधिकतम तापमान 28 से 31 डिग्री सेंटिग्रेड रहता है। इस बात की पूरी संभावना है कि दिन में धूप खिली रहेगी और मौसम खुशगवार रहेगा। हल्के गर्म कपड़े ले जाने से काम चल सकता है। 

क्या करें 
1. कुंभ मेले को साफ -सुथरा रखने में सहयोग करें। 
2. अपने ठहरने की जगह के पास के घाट पर स्नान करें। 
3. धार्मिक पर्व को ध्यान रखते हुए ही कपड़े पहनें। 
4. घाटों पर सुरक्षा के लिए रस्से उपलब्ध कराए गए हैं। इनका इस्तेमाल करें। 
5. व्यवस्था बनाए रखने में जितना हो सके, सहयोग करें। 

क्या न करें 
1. कुंभ मेले में पॉलिथिन का इस्तेमाल न करें। 
2. गंगा में कपड़े न धोए। 
3. नावों पर क्षमता से ज्यादा लोग यात्रा न करें। 
4. भिखारियों को बढ़ावा न दें। 
5. गंगा में नहाते वक्त साबुन का इस्तेमाल न करें और न ही घाट पर कपड़े धोएं। 
6. उपयोग की गई पूजा सामग्री, फूलमाला, मूर्ति आदि गंगा में प्रवाहित न करें। 

कहां ठहरें 
इस वक्त इस बात की पूरी संभावना है कि इलाहाबाद के ज्यादातर होटलों में पूरी बुकिंग होगी, फिर भी आपकी सुविधा के लिए यूपी टूरिजम के अलावा कुछ अच्छे होटलों के बारे में जानकारी दे रहे हैं। दिक्कतों से बचने के लिए अपनी आईडी अपने साथ लेकर जाएं। 

यूपी टूरिजम 
राही इलावर्ट टूरिस्ट बंग्ला 
कमरे का किराया : 2300 से 7000 रुपये। 

राही त्रिवेणी दर्शन 
कमरे का किराया : 2000 से 4000 रुपये। 

होटल 
होटल अतुल 
किराया : 1700 से 2200 रुपये। 

होटल सम्राट 
किराया : 2400 से 2800 रुपये। 

होटल यात्रिक 
किरारा : 2600 से 4700 रुपये। 

होटल : साकेत 
किराया : 2200 से 2500 रुपये 

होटल : प्रयाग इन 
किराया : 2000 से 4000 रुपये। 

स्विस टेंट 
किराया : 3500 से लेकर 11000 रुपये तक (सुविधाओं के मुताबिक) 

स्विस टेंट गंगा के किनारे घेराबंदी करके बनाए गए हैं। यही वजह है कि यहां रात को सर्दी बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। इन टेंटों में रुकें तो गर्म कपड़ों की पूरी तैयार के साथ जाएं। 

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KUMBH SHAHI SNAN TOUR

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Day 01:-On arrival in Allahabad, meet an Amble representative transfer to camp, dinner and overnight stay.

Day 02:-Morning after breakfast, visit nearby places like , Hanuman Temple, Allahabad Fort etc later back to the camp for lunch & rest. Evening free to visit camp of Akharas, prepare yourself for divine day. Dinner & Overnight stay at the camp.

Day 03:-Early morning attain Shahi Snan back to camp for breakfast visit mela area back to camp dinner over night at Camp.

Day 04:-Morning after breakfast , local darshan of Allahabad, visit Anand Bhawan, Khusrubag, Museum, Chandra Shekhar Park, darshan of Bade Hanuman Temple back to camp dinner overnight stay.

Day 05:-Morning after breakfast, check out from camp drop to Railways Station or Airport or Bus Stand.
Trip Highlights
  • Hanuman Temple
  • Allahabad Fort
  • Patalpuri
  • Shahi Snan
  • Akshaya Vat
  • Lete Hanuman Mandir at Sangam
  • Sangam
  • Minto Park

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Prayag Kumbh Darshan - 2019

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The Kumbh Festival – 2019 at Tirthraj Prayag started on the full moon night (Purnima) of the long stretch of Paush. The Kumbh Festival is held at Haridwar, Ujjain and Nasik like clockwork, yet the Kumbh at Prayag has an extraordinary essentialness. The Kumbh Festival is set apart by the way that it is held at the banks of sacred streams at regular intervals. In Prayag it is hung on the banks of the waterways Ganga-Yamuna and the legendary Saraswati, in Haridwar at Ganga and in Nasik at the Godavari. An extraordinary reasonable is hung on these events on the banks of these waterways with an immense gathering of gave explorers.
This Kumbh is thought to be the most critical of all as it denotes the heading of astuteness or light. This is where the sun, symbolizing intelligence, rises.
Making of the universe should have started here and it should be the focal point of the earth. Prajapati Brahma, the God of Creation, is said to have made the Universe in the wake of leading the Ashwamedh Yagna at the Dashashwamedh Ghat here. The Dashashwamedh Ghat and the Brahmeshwar Temple still exist here as though as images of that heavenly yagna, and that is another purpose behind the unique noteworthiness of the Prayag Kumbh. Truth be told Prayag and Kumbh are synonymous to each other.
The Meaning of Kumbh The exacting importance of Kumbh is a pitcher, however its natural significance is something unique. Indeed, even as an image of pitcher, Kumbh is synonymous with heavenly exercises as in day by day life a pitcher (or kalash) is an essential piece of every single hallowed movement in Hindu culture, and this pitcher is an image of Kumbh. Blessed sacred writings say that in a pitcher, its mouth (opening) symbolizes the nearness of Vishnu, its neck that of Rudra, the base of Brahama, all goddesses in the middle and the whole seas in the inside, subsequently including all the four Vedas. This itself builds up the importance of the Kumbh as symbolized by the pitcher.
हरिद्वारे कुम्भयोगो मेषार्के कुम्भगे गुराै । प्रयागे मेषसंस्थेज्ये मकरस्थे दिवाकरे ।।
उज्जयिन्यां च मेषार्के सिंहस्थे च बृहस्पताै । सिंहस्थितेज्ये सिंहार्के नाशिके गौतमीतटे ।।
सुधाबिन्दुविनिक्षेपात् कुम्भपर्वेति विश्रुतम् ।।
Distinctive Forms of Kumbh We might not stay upon the abstract significance of the word Kumbh, yet we might want to specify the equivalent words and starting points. The Kumbh is a pitcher. Kumbh is the human body, it is the stomach area, and the ocean, earth, sun and Vishnu are equivalent words of Kumbh. The pitcher, ocean, waterway, lakes and the well are images of Kumbh as the water from these spots is secured from all sides. The sky has the front of the breeze, the sun covers the whole universe with its light, and the human body is secured with cells and tissues. That is the reason it is Kumbh. Want, that is aching, is likewise Kumbh. God Vishnu is additionally Kumbh as He infests the whole creation, and the creation overruns in Him.
Natural Meaning of Kumbh Kumbh is the conjunction of every one of our societies. It is the image of profound arousing. It is the interminable stream of humankind. It is the surge of streams, woods and the antiquated shrewdness of the sages. It is simply the stream of life. It is the image of the conversion of nature and humankind. Kumbh is the wellspring of all vitality. Kumbh influences mankind to understand this world and alternate, sins and endowments, intelligence and numbness, haziness and light. Heavenly waterways are the images of the expressive stream of mankind. Streams are pointers of the stream of water of life in the human body itself. In the human body that is an epitome of home, nothing is conceivable without the five components. The components – fire, wind, water, earth and sky – symbolize the human body. The immense sage-artist Sant Kabir has clarified this great idea in his run of the mill way.

Source: www.allahabadkumbhmela.com

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